चोटी की पकड़–33

जटाशंकर ने सोचा, "रानी और राजा का खेल कर रही है।" प्रेम बढ़ गया। चूमने के लिए मुँह बढ़ाया कि गाल पर मुन्ना का चाँटा पड़ा। जटा शंकर चौंककर हाथ-भर उछल गया। 


साथ ही मुन्ना ने कहा, "रानी का तुम्हारे लिए यही जवाब होगा। रही बात राजा को सलामी देने की; तुम्हें मालूम होना चाहिए कि हम सिपाही नहीं; हम प्रणाम करते हैं।" 

मुन्ना ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया, कहा, "इस तरह; अब तुमसे फिर कहती हूँ, मेरे साथ रानीजी का मान है, उन्होंने दिया है, इसको अंग्रेजी में आनर कहते हैं; राजा ने तुमको मान नहीं दिया, तुम अपनी तरफ से राजा का मान लेते हो। 

रानी का मान पहले तुमसे लिया जाएगा। हम जब आएँगे, तुम उठकर खड़े हो जाओगे और हाथ जोड़कर रानीजी की जय कहोगे। तभी हम रानीजी का आनर वहाँ चढ़ा सकेंगे।"

"कहाँ?"

"वहीं जहाँ हम काम करते हैं?"

"हम रानीजी से पूछ लें।"

"और किस रानीजी से तुम पूछोगे? रानी का मान है यहाँ, तुमको यह बतलाया जा चुका है, वहाँ तुम जाओगे, दासी से कहोगे, खबर भेजोगे, तुमको जवाब नहीं मिलेगा, बिना मान की रानी जवाब क्या देंगी? तुम इतना नहीं समझते, रानीजी का मान दूसरी के साथ तभी बांधा जाता है जब कोई उनका पानी उतारता है। जहाँ हम काम करते हैं, वहाँ की उस औरत ने रानीजी का मान घटाया है, उसका मान घटाया जाएगा। तुमसे यह भेद बतला दिया गया। अब बताओ, तुम साथ दोगे, या नहीं।"

"रानीजी के मान बढ़ाने में क्यों साथ नहीं देंगे?"

"अच्छा, अब रानीजी का मान हम रानीजी को देते हैं। अब हम हम हैं। अब हमको तुम चाहो तो चूम लो।"।

जटाशंकर फिर चूमने के लिए लपके। पकड़कर चूमने लगे, तो मुन्ना ने उनके होंठों के भीतर जीभ चला दी और कहा, "तुमने हमारा थूक चाटा। हमारी जात कहार की है। अब हम गढ़-भर में कहेंगे। तुम कौन बाँभन हो?"

जटाशंकर सूख गए। सोचा, "यह कुल चकमा उनकी जाति मारने के लिए था। कल से कोई पानी नहीं पिएगा।" बहुत डरे। देवता की याद आई कि उन्होंने न बचाया। सोचा, ब्रह्मा की लड़ाई में काम आ गए होते तो अच्छा होता।

मुन्ना टकटकी बाँधे हुए पं. जटाशंकर मिश्र के बदलते हुए मनोभाव देखती रही। पंडितजी ब्रह्मा की लड़ाई में नहीं मरे, इसलिए डरे। कहा, "तू मुझे अपना गुलाम समझ, जो कहेगी, करूँगा; थूक चाटने को कहे तो चाटूँगा, मगर किसी से कह मत।"

मुन्ना की रग-रग में घणा भर गई। समझ गई, यह आदमी प्रणयी नहीं हो सकता। यह धोखा देगा। इसको उतारकर रखना चाहिए। खुलकर कहा, "तुम जब तक हमारी बात मानोगे, हम किसी से नहीं कहेंगे।"

   0
0 Comments